बिहार-गुजरात को तुरंत पैसा लेकिन पंजाब को सिर्फ़ 1600 करोड़ के झूठे वादे; क्या केंद्र की भाजपा सरकार पंजाब से खुलेआम कर रही भेदभाव ?
Bihar and Gujarat Get Flood Money Fast
चंडीगढ़, 30 नवंबर 2025: Bihar and Gujarat Get Flood Money Fast: 2025 के भयानक बाढ़ ने पंजाब को तबाह कर दिया था। लाखों एकड़ फसल डूब गई, सैकड़ों गांव पानी में समा गए, हजारों परिवार बेघर हो गए। उस मुश्किल घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पंजाब आए थे। हवाई सर्वे किया, कैमरों के सामने बड़े-बड़े वादे किए और ऐलान किया कि केंद्र सरकार पंजाब को बाढ़ राहत के लिए 1600 करोड़ रुपये की विशेष सहायता देगी। पंजाब के लोगों ने राहत की सांस ली थी कि अब कम से कम केंद्र सरकार तो साथ खड़ी है।
लेकिन आज कई महीने बीत जाने के बाद भी उस 1600 करोड़ में से एक रुपया भी पंजाब के खाते में नहीं आया। न एक पैसा। न केंद्र ने कोई आधिकारिक पत्र भेजा, न कोई किस्त जारी की। प्रधानमंत्री का वह भव्य ऐलान सिर्फ़ कैमरों और हेडलाइनों तक सीमित रह गया। पंजाब की जनता आज भी उसी बाढ़ के घाव चाट रही है और केंद्र सरकार मुँह फेरे बैठी है।
पंजाब सरकार ने बार-बार केंद्र को पत्र लिखे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को चिट्ठियाँ लिखीं, मीटिंग माँगी, रिमाइंडर भेजे। हर बार जवाब मिला – “विचार किया जा रहा है”, “प्रक्रिया चल रही है”। लेकिन प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हुई। सैकड़ों मौतें हुईं, अरबों का नुकसान हुआ, फिर भी केंद्र सरकार की नींद नहीं टूटी।
दूसरी तरफ जब बिहार, असम या गुजरात में बाढ़ आती है तो केंद्र सरकार तुरंत पैकेज घोषित करती है, तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देती है। वहाँ के मुख्यमंत्री अगर भाजपा के हैं तो राशि दोगुनी-तिगुनी हो जाती है। लेकिन पंजाब? पंजाब तो आम आदमी पार्टी की सरकार है, इसलिए यहाँ भेदभाव, उपेक्षा और सज़ा। भाजपा को लगता है कि पंजाब को सबक सिखाना है, भले इसके लिए लाखों किसान और मज़दूर भुखमरी की कगार पर पहुँच जाएँ।
केंद्र के मंत्री कभी 411 करोड़, कभी 480 करोड़, कभी 800 करोड़ दिए जाने का दावा करते हैं, लेकिन पंजाब के खजाने में एक भी रुपया नहीं आया। ये झूठी प्रेस रिलीज़ सिर्फ़ जनता को गुमराह करने के लिए हैं। सच तो आरटीआई और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है – 1600 करोड़ का एक पैसा भी नहीं आया। यह सिर्फ़ धोखा नहीं, पंजाब के साथ विश्वासघात है।
पंजाब ने हमेशा देश को अनाज दिया, देश की सीमाओं की रक्षा की, सबसे ज़्यादा सैनिक दिए। लेकिन जब पंजाब मुसीबत में है तो केंद्र सरकार उसकी पीठ पर छुरा घोंप रही है। यह राजनीतिक बदला है, क्षेत्रीय भेदभाव है, संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
पंजाब की जनता यह सब देख रही है। 2027 के विधानसभा चुनाव दूर नहीं। जिस दिन पंजाब जवाब देगा, उस दिन दिल्ली की सत्ता के गलियारे काँप उठेंगे। क्योंकि पंजाब माफ़ नहीं करता, पंजाब याद रखता है।